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Monday, August 27, 2012
फिर वंही लौट के जाना होगा.. जाने कैसी रिहाई दी है !!
जिसकी आँखों में कटी थी
शादियों,
उसने
शादियों की जुदाई दी है..
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फिर वंही लौट के जाना होगा.. जाने कैसी रिहाई दी है...
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Gulzar Poetry
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Brijesh N Bhatt
You see things; and you say, "Why?" But I dream things that never were; and I say, "Why not?"
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