प्यार घड़ी भर का ही बहुत है
झूठा, सच्चा, मत सोचा कर
अपना आप गवाँ कर तूने
पाया है क्या, मत सोचा कर
जिसकी फ़ितरत ही डसना हो
वो तो डसेगा, मत सोचा कर
धूप में तनहा कर जाता
क्यूँ ये साया, मत सोचा कर
मान मेरे शहजाद वरना
पछताएगा, मत सोचा कर
झूठा, सच्चा, मत सोचा कर
अपना आप गवाँ कर तूने
पाया है क्या, मत सोचा कर
जिसकी फ़ितरत ही डसना हो
वो तो डसेगा, मत सोचा कर
धूप में तनहा कर जाता
क्यूँ ये साया, मत सोचा कर
मान मेरे शहजाद वरना
पछताएगा, मत सोचा कर
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