Tuesday, August 21, 2012

बीत गए दिन
प्यार के पल-छीन
सपना बनी ये रातें
भूल गए वो
तू भी भुला दे
प्यार की वो मुलाकातें
सब दूर आंधेरा
मुसाफिर...

कोई भी तेरी
राह ने देखे
नैन बिछाए न कोई
दर्द से तेरे
कोई ना तड़पा
आँख किसी की ना रोई
कहे किसको तू मेरा
मुसाफिर...

कहते हैं ज्ञानी
दुनिया है पानी
पानी पे लिखी लिखाई
है सबकी देखी
है सबकी जानी
हाथ किसी के ना आनी
कुछ तेरा ना मेरा
मुसाफिर...

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You see things; and you say, "Why?" But I dream things that never were; and I say, "Why not?"