Friday, September 6, 2013

Ek saam utri, dabe pao wo raat aayi
bhigi hui, palkho me uljhi wo baat aayi..

Monday, September 10, 2012

तेरे उतारे हुए दिन

तेरे उतारे हुए दिन
टंगे है लोनं में अब तक
न वोह पुराने हुए है
न उनका रंग उतारा
कहीं से कोई भी सिवान अभी नहीं उधडी


एलैची के बहुत पास रखे पत्थर पर
ज़रा सी जल्दी सरकाया करती है छाओं
ज़रा सा और घना हो गया है वोह पौधा
मैं थोडा थोडा वोह गमला हटाता रहता हूँ
फकीर अब भी वहीँ मेरी कोफ़ी देता है

गिल्हेरियों को बुलाकर खिलाता हूँ बिस्कुट
गिल्हेरियाँ मुझे शक की नज़र से देखती है
वोह तेरे हाथों का मास जानती होंगी

कभी कभी जब उतरती है झील शाम की छत्त से
थकी थकी सी
ज़रा देर लोनं में रुक कर
सफ़ेद और गुलाबी मसुम्बे के पौधों में घुलने लगती है
की जैसे बर्फ का टुकड़ा पिघलता जाये व्हिस्की में

मैं स्कार्फ उन दिन का गले से उतार देता हूँ
तेरे उतारे हुए दिन पहनके अब भी मैं
तेरी महक में कई रोज़ काट देता हूँ

तेरे उतारे हुए दिन
टंगे है लोनं में अब तक
न वोह पुराने हुए है
न उनका रंग उतारा
कहीं से कोई भी सिवान अभी नहीं उधडी

Monday, August 27, 2012

फिर वंही लौट के जाना होगा.. जाने कैसी रिहाई दी है !!
जिसकी आँखों में कटी थी शादियों,  उसने शादियों की जुदाई दी है.. 
दिन गुजरता नहीं है लोगो में.. रात होती नहीं बसर तनहा 
उसी का इमा बदल गया है, कभी जो मेरा खुदा रहा था..
वो उम्र कम कर रहा था मेरी, मै साल अपने बढ़ा रहा था..
देर से गुजते है सन्नाटे.. जैसे हमको पुकारता है कोई..

Tuesday, August 21, 2012

प्यार घड़ी भर का ही बहुत है
झूठा, सच्चा, मत सोचा कर

अपना आप गवाँ कर तूने
पाया है क्या, मत सोचा कर

जिसकी फ़ितरत ही डसना हो
वो तो डसेगा, मत सोचा कर

धूप में तनहा कर जाता
क्यूँ ये साया, मत सोचा कर

मान मेरे शहजाद वरना
पछताएगा, मत सोचा कर

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You see things; and you say, "Why?" But I dream things that never were; and I say, "Why not?"