न मै तुमसे कोई उम्मीद रखू दिल नवजी का
न तुम मेरी तरफ देखो गलत अंदाज़ नज़रो से
न मेरे दिल की धड़कन लडखडाये मेरे बातो में
बया हो तुम्हारी कशमकश का राज नजरो से...
तुम्हे भी कोई उलझन रोकती है पेश कदमी से
मुझे भी लोग कहते है के ये जलवे पराये है..
मेरे हमराह भी रुश्वायिया है मेरे माझी की
तुम्हारे साथ भी गुजारी हुई रातो के साए है ....
तारुफ़ रोग हो जाये तो उसको भूलना बेहतर
तालुक बोझ बन जाये तो उसको तोडना अच्छा
वो अफसाना जिसको अंजाम तक लाना न हो मुंकिन
उसे एक खुबसूरत मोड़ दे कर छोड़ना अच्छा ...
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